अयोध्या के राममंदिर भूमिपूजन में जरासंध अख़ारे की मिट्टी का होगा उपयोग
पटना, अभय भारत न्यूज़ –
अयोध्या के त्रेता युग और राजगीर के महाभारतकालीन से जुड़ी धरोहरों की सभ्यता संस्कृति का अनोखा मिलन होने वाला है। अयोध्या में 5 अगस्त को प्रस्तावित श्री राम मंदिर भूमि पूजन में धार्मिक नगरी राजगीर के ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल जरासंध अखाड़े की मिट्टी का भी उपयोग किया जाएगा।
जरासंध के अखाड़े की मिट्टी का किया संग्रह
मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के निर्देश पर भूमि पूजन में भारत के ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक स्थलों के मिट्टी, पानी आदि का प्रयोग भूमिपूजन में किया जाएगा। इसी क्रम में रविवार को विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय सदस्यों द्वारा राजगीर के प्राचीन मगध के चक्रवर्ती राजा जरासंध के अखाड़े की मिट्टी का संग्रह किया गया। मगध के राजा द्वारा प्रतिदिन इस स्थल पर मल्ल युद्ध का अभ्यास होता था और हजारों लीटर दूध से प्रतिदिन मिट्टी को सींचा जाता था। दूध से सींचने से यह मिट्टी सफेद रंग की हो गई है। विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मंत्री परशुराम प्रसाद, वीएचपी मठ मन्दिर सम्पर्क एवं प्रमुख प्रांतीय सदस्य खेमजीत प्रसाद, प्रांतीय सदस्य सरदार अनिल कुमार की उपस्थिति में अखाड़ा की मिट्टी को नमन कर पात्र में रखा गया जिसे भूमिपूजन के लिए अयोध्या भेजा जाएगा। विश्व ङ्क्षहदू परिषद के सदस्यों ने बताया कि जरासंध के अखाड़े की मिट्टी के साथ स्वर्ण भंडार की मिट्टी और ब्रह्मïकुंड से जल भी लिया गया है।
अयोध्या भेजी जाएगी बाबा गरीबनाथ धाम की मिट्टी
अयोध्या में पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन के लिए विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल मुजफ्फरपुर की ओर से रविवार को जिले के महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बाबा गरीबनाथ धाम मंदिर की मिट्टी और बूढ़ी गंडक के सिकंदरपुर आश्रमघाट का जल इकठ्ठा किया गया। सोमवार को इसे कूरियर या पार्सल से अयोध्या के लिए भेजा जाएगा।रविवार दोपहर विहिप जिलाध्यक्ष कृष्ण मुरारी भरतिया के नेतृत्व में बजरंग दल कार्यकर्ताओं का एक जत्था सिकंदरपुर स्थित सीढ़ी घाट पहुंचा। वहां विधिवत पूजा-अर्चना के बाद बूढ़ी गंडक से जल लिया गया। फिर वहां से लोग जयकारा लगाते हुए बाबा गरीबनाथ पहुंचे। वहां बाबा की पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक ने वहां की मिट्टी जिलाध्यक्ष को दी। उस मिट्टी की पूजा कर रख लिया गया। पाठक ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए इसका प्रयोग किया जाएगा।